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वीर गोगा जी – इतिहास, रहस्य और अध्यात्म का अद्वितीय संगम (भाग 1)
2 months ago Leave a comment 138

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कलियुग की शुरुआत से लेकर वीर गोगा जी के जन्म तक की महागाथा

लेख श्रृंखला का यह पहला भाग आपको महाभारत के पश्चात के समय से लेकर वीर गोगा जी के दिव्य अवतरण तक की ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक यात्रा पर ले जाएगा। यह केवल एक कथा नहीं बल्कि धर्म, तपस्या, और न्याय की अग्निपरीक्षा है।

🌑 कलियुग का आरंभ और राजा परीक्षित की परीक्षा

महाभारत युद्ध के पश्चात पांडवों में से अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित का जन्म हुआ। एक दिन राजा आखेट के लिए जंगल गए, वहीं उन्हें कलियुग का दर्शन हुआ। उन्होंने कलियुग को भूलोक त्यागने का आदेश दिया, लेकिन कलियुग राजा के चरणों में गिर पड़ा। राजधर्म के अनुसार चरण में आए को शरण देना क्षत्रिय का कर्तव्य था, इसलिए राजा ने कलियुग को 5 स्थान दिए—जहां मदिरा पान, वेश्यावृत्ति, जुआ, हिंसा, और पाप से अर्जित स्वर्ण होगा।

लेकिन इस निर्णय का परिणाम भयानक हुआ—कलियुग ने राजा के स्वर्ण मुकुट में वास किया और उनके मन को दूषित कर दिया। एक दिन जंगल में प्यास लगने पर वे एक ऋषि की कुटिया में पहुंचे। वहां ऋषि शमीक तपस्या में लीन थे और उत्तर नहीं दिया। क्रोधित होकर राजा ने उनके गले में मृत सर्प डाल दिया।

बाद में जब राजा को अपनी भूल का अहसास हुआ, वह क्षमा मांगने दौड़े, लेकिन तब तक ऋषि का पुत्र श्रृंगी उन्हें तक्षक नाग द्वारा डसे जाने का श्राप दे चुका था। ठीक सातवें दिन, सुरक्षा के सभी उपायों को चकमा देकर तक्षक नाग राजा परीक्षित को डस गया।

🔥 सर्प यज्ञ और आस्तिक की कृपा

राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद उनके पुत्र जन्मेजय ने सर्पों से प्रतिशोध लेने की ठानी। उन्होंने सर्प यज्ञ प्रारंभ किया, जिससे असंख्य नाग यज्ञ अग्नि में आकर भस्म होने लगे। तब नागों ने माता मंसा देवी से प्रार्थना की, और उन्होंने अपने पुत्र आस्तिक को यज्ञ रोकने भेजा। आस्तिक के प्रभाव से यज्ञ रुका और नागों की रक्षा हुई।

🌊 मछली के पेट में जन्मा बालक – मत्स्येंद्रनाथ की कथा

युग बदला और कलियुग में एक बालक का जन्म हुआ, जिसकी कुंडली अत्यंत अशुभ थी। उसे समुद्र में फेंक दिया गया, जहां एक विशाल मछली ने उसे निगल लिया। 12 वर्षों तक बालक मछली के पेट में जीवित रहा, और उसी दौरान भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताए जा रहे योग रहस्य उसके कानों में पड़े। बालक ने वहां ही योग साधना शुरू की।

बाद में एक मछुआरे द्वारा पकड़ी गई मछली को काटने पर वह बालक जीवित निकला। करुणा से भरे उस बालक ने मछलियों को जीवित जल में छोड़ दिया और साधक बन गया। वही बालक आगे चलकर प्रसिद्ध योगी गुरु मत्स्येंद्रनाथ बना।

👣 गोरखनाथ जी का अवतरण और जन्म की अलौकिक कथा

एक बार भिक्षा में गुरु मत्स्येंद्रनाथ ने एक बाँझ महिला को पुत्र प्राप्ति का प्रसाद दिया, लेकिन डर से वह महिला प्रसाद को गोबर के ढेर में फेंक आई। 12 वर्षों बाद, गुरु फिर वहां आए और जब उस महिला ने झूठ बोला, तो गुरु ने गोबर से पुकारा—वहीं से तेजस्वी बालक प्रकट हुआ, जिसे नाम मिला गोरखनाथ

🔱 गोगा जी के जन्म की पूर्वपीठिका

गुरु गोरखनाथ गोरखनाथ को शिक्षा देने के बाद राजस्थान के ददरेवा गांव आए। वहां उन्होंने माता बाछल को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया, लेकिन जुड़वां बहन काछ ने छलपूर्वक वह आशीर्वाद स्वयं ले लिया। जब गुरु को सच्चाई पता चली, उन्होंने माता बाछल को एक तेजस्वी पुत्र का वरदान दिया, जो आगे चलकर काछ के पुत्रों का विनाश करेगा।

गुरु गोरखनाथ ने पाताल लोक से राजा परीक्षित के प्रपौत्र राजा जन्मेजय की आत्मा को लाकर माता बाछल के गर्भ में स्थापित किया। वहीं काछ को जुड़वां पुत्र—अर्जन और सर्जन—प्राप्त हुए। गुरु ने बाछल को गगल नामक दिव्य प्रसाद सौंपा, जिससे बाछल और घोड़ी दोनों ने भाग लिया—घोड़ी से जन्मा था गोगा जी का अति शक्तिशाली नीला घोड़ा

👶 वीर गोगा जी का जन्म

गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद अनुसार भाद्रपद सुदी नवमी, विक्रम संवत 1003 को माता बाछल के गर्भ से वीर गोगा जी का दिव्य अवतरण हुआ। उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया, जबकि काछ के पुत्रों का नहीं। यहीं से गोगा जी के जीवन की गाथा ने नाटकीय और प्रेरणादायक मोड़ लिया।

🔔 अगले भाग में पढ़ें:

गोगा जी की बाल्यकाल की घटनाएं, उन पर हुए षड्यंत्र, और किस प्रकार उन्होंने छल व अत्याचारों के विरुद्ध न्याय की मशाल जलाए रखी।

📌 नोट:

यह श्रृंखला ऐतिहासिक आख्यान, लोक परंपरा, और अध्यात्म का संगम है। इसे आगे भी पढ़ते रहें, और वीर गोगा जी की अप्रतिम गाथा से जुड़ें।

👉 भाग 2 जल्दी ही प्रकाशित होगा! उसे पढ़ना न भूलें।

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Comments

Good

September 4, 2025, 6:08 am   (By : Suresh) Rating : 5